बिनु सतसंग बिबेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥" अर्थात् बिना सत्संग के विवेक नहीं होता और राम कृपा के बिना सत्संग सुलभ नहीं होता। मेरे गुरु एवं मार्गदर्शक आदरणीय श्री सौरभ मालवीय सर का सत्संग, स्नेह और सुखद सानिध्य प्राप्त हुआ। उनकी पुस्तक 'भारतीय संत परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप' प्राप्त हुई।
सचित्र मिश्रा
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