Thursday, October 30, 2025

मासिक गोष्ठी





संघ का स्व जागरण
राष्ट्र के नव निर्माण में संगठन का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कोई भी राष्ट्र तभी शक्तिशाली और सशक्त बन सकता है जब उसके नागरिकों में आत्मगौरव, अनुशासन, एकता और राष्ट्रनिष्ठा की भावना जागृत हो।
 संघ का "स्व जागरण" अर्थात् आत्म-जागृति, आत्म-चेतना और अपने कर्तव्यों के प्रति सजगता का भाव है।
‘स्व जागरण’ का तात्पर्य है—अपने भीतर निहित शक्तियों, मूल्यों और संस्कारों का जागरण।
अपने राष्ट्र, संस्कृति और इतिहास के गौरव को जानना,
अपने कर्तव्यों का बोध होना,
अपने समाज और मातृभूमि के प्रति निष्ठा विकसित करना.

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