Sunday, April 27, 2025

डॉ. सौरभ मालवीय की किताब का लोकार्पण

















Saturday, April 26, 2025

डॉ. सौरभ मालवीय की किताब का लोकार्पण


पुस्तकें हमारे चित्त को तृप्त करती है : प्रो.कीर्ति पाण्डेय
धम्मौर, अमेठी. भागदौड़ के समय में संतों के विषय में पढ़कर मन को शांति प्राप्त होती है।  हमारे पास संतों की शिक्षाओं एवं उनके उपदेशों के रूप में ज्ञान का अपार भंडार है। भारतीय ज्ञान परम्परा भारत का जीवन दर्शन है। हमारे संत हमारे पथप्रदर्शक है। 
भारत में अनेक संत हुए हैं, जिन्होंने विश्व को मानवता का संदेश दिया। संतों की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उस समय थीं जब उन्होंने उपदेश दिए थे। आज जब लोग पश्चिमी सभ्यता के पीछे भाग रहे हैं तथा जीवन मूल्यों को भूल रहे हैं, ऐसी परिस्थिति में संतों की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार अत्यंत आवश्यक हो जाता है। विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय साधारण सभा की  धम्मोर बैठक में उक्त बातें उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष प्रो.कीर्ति पाण्डेय ने डॉ.सौरभ मालवीय द्वारा लिखित पुस्तक भारतीय संत परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप के लोकार्पण के अवसर पर कही।

 इस पुस्तक में 16 संतों के जीवन एवं उनके उपदेशों को प्रस्तुत  किया गया है, जिनमें रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास, महान कृष्ण भक्त सूरदास, महान भक्त कवि रसखान, कबीर, रैदास, मीराबाई, नामदेव, गोरखनाथ, तुकाराम, मलूकदास, धनी धरमदास, धरनीदास, दूलनदास, भीखा साहब एवं चरणदास सम्मिलित हैं। इन सभी संतों ने देश में भक्ति की गंगा प्रवाहित की। इनकी रचनाओं ने लोगों में भक्ति का संचार किया। इसमें ऐसे भी संत हैं, जिन्होंने गृहस्थ जीवन में रहकर ईश्वर की भक्ति की। उन्होंने अपने परिवार एवं परिवारजनों के प्रति अपने सभी दायित्वों का निर्वाह किया। इनमें ऐसे भी संत हैं, जिन्होंने सांसारिक संबंधों से नाता तोड़कर अपना संपूर्ण जीवन प्रभु की भक्ति में व्यतीत कर दिया।“ संतों ने कभी किसी को अपने पारिवारिक कर्तव्यों से विमुख होने के लिए नहीं कहा, अपितु अपने संपूर्ण कर्तव्यों का पालन करते हुए ईश्वर की साधना करने का संदेश दिया। डॉक्टर मालवीय की यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी।

इस अवसर पर विद्या भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र जी, डॉ. राममनोहर जी, डॉ.जय प्रताप सिंह , राजबहादुर दीक्षित समेत अनेक लोग उपस्थित थे।

Friday, April 25, 2025

पुस्तक भेंट

 

सान्निध्य सुख ! पुस्तक भेंट !
भारतीय ज्ञान परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप
प्रो.आलोक राय
मा.कुलपति 
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ

Thursday, April 24, 2025

पदीय गरिमा के अनुरुप हो हमारा कार्य : डॉ. सौरभ मालवीय





विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के अन्तर्गत जन शिक्षा समिति-अवध प्रदेश(उत्तर प्रदेश)द्वारा 21 से 24 अप्रैल 2025 तक आयोजित प्रान्तीय वार्षिक कार्य योजना बैठक सरदार गनपत राय सरस्वती विद्या मन्दिर रानोपाली अयोध्या मे सम्पन्न हो रही है।

 विद्या भारती के क्षेत्रीय मंत्री डा•सौरभ मालवीय जी ने जिला व संकुल प्रमुख प्रधानाचार्यो के साथ पदीय दायित्व विषय पर चर्चा वार्ता करते हुए कहा कि हमारा संस्थान समाज पोषित है इसलिए समाज के अधिक से अधिक लोगो को जोड़ना तथा अपने पदीय गरिमा की रक्षा करते हुए सभी को सम्मान प्रदान करना।

क्षेत्रीय मंत्री जी ने सभी जिला व संकुल प्रमुखों से अपने कार्य क्षेत्र मे आने वाले विद्यालयों मे निरन्तर प्रवास करने,प्रवास के दौरान आयी समस्याओं को अपने स्तर से दूर करवाने का प्रयास करने तथा अपने जिला व संकुल के विद्यालयो के विकास हेतु बिन्दुओ का एजेण्डा नोट कर जिला तथा संकुल के प्रधानाचार्यो की बैठक आहूत करना तथा बैठक मे अपने प्रदेश निरीक्षक जी व सम्भाग निरीक्षक जी की भी उपस्थिति सुनिश्चित कराना श्रेष्ठतम रहेगा। उक्त अवसर पर श्री योगेश जी , प्रदेश निरीक्षक श्री मिथिलेश अवस्थी जी की विशेष उपस्थिति रही।
विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश
जन शिक्षा समिति-अवध

Wednesday, April 23, 2025

बैठक

 



विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश,लखनऊ
क्षेत्रीय शोध टोली की एक दिवसीय बैठक 

Tuesday, April 22, 2025

पुस्तक भेंट

 

सान्निध्य सुख ! पुस्तक भेंट !
भारतीय ज्ञान परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप
प्रो. रवींद्रनाथ श्रीवास्तव
संयोजक, राजभाषा हिन्दी विभाग, 
नव नालंदा महाविहार, नालंदा

Sunday, April 20, 2025

अहिल्यबाई होलकर भारतीयता की प्रतीक थी : डॉ.सौरभ मालवीय

 अहिल्यबाई होलकर भारतीयता की प्रतीक थी : डॉ.सौरभ मालवीय




भारत की राष्‍ट्रीयता हिंदुत्‍व है