- खेती भारत का बुनियादी उद्योग है.
- अन्न उत्पादन द्वारा आत्मनिर्भरता के बिना हम न तो औद्योगिक विकास का सुदृढ़ ढांचा ही तैयार कर सकते है और न विदेशों पर अपनी खतरनाक निर्भरता ही समाप्त कर सकते हैं.
- हमारा कृषि-विकास संतुलित नहीं है और न उसे स्थायी ही माना जा सकता है.
- कृषि-विकास का एक चिंताजनक पहलू यह है कि पैदावार बढ़ते ही दामों में गिरावट आने लगती है.
माटी की महक
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रोपन छपरा निवासी प्रो.ध्रुव सेन सिंह जी के आमंत्रण पर उनके परिवार द्वारा
संचालित जूनियर हाई स्कूल रोपन छपरा, लार में स्वर्गीय भद्रसेन सिंह जी की
13वीं ...
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