- खेती भारत का बुनियादी उद्योग है.
- अन्न उत्पादन द्वारा आत्मनिर्भरता के बिना हम न तो औद्योगिक विकास का सुदृढ़ ढांचा ही तैयार कर सकते है और न विदेशों पर अपनी खतरनाक निर्भरता ही समाप्त कर सकते हैं.
- हमारा कृषि-विकास संतुलित नहीं है और न उसे स्थायी ही माना जा सकता है.
- कृषि-विकास का एक चिंताजनक पहलू यह है कि पैदावार बढ़ते ही दामों में गिरावट आने लगती है.
गोरखपुर विश्वविद्यालय
-
प्रो.विमलेश मिश्र - गोरखपुर विश्वविद्यालय
प्रो.जेपी.सिंह - प्राचार्य - महंत अवैधनाथ राजकीय डिग्री कॉलेज - गोरखपुर
सरस्वती देवी पीजी कॉलेज , खड्डा - जनपद -...
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment