गिरकर उठना, उठकर चलना... यह क्रम है संसार का... कर्मवीर को फ़र्क़ न पड़ता किसी जीत और हार का... क्योंकि संघर्षों में पला-बढ़ा... संघर्ष ही मेरा जीवन है...
-डॉ. सौरभ मालवीय
डॉ. सौरभ मालवीय
अपनी बात
सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र-निर्माण की तीव्र आकांक्षा के कारण छात्र जीवन से ही सामाजिक सक्रियता। बिना दर्शन के ही मैं चाणक्य और डॉ. हेडगेवार से प्रभावित हूं। समाज और राष्ट्र को समझने के लिए "सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और मीडिया" विषय पर शोध पूर्ण किया है, परंतु सृष्टि रहस्यों के प्रति मेरी आकांक्षा प्रारंभ से ही है।
बाबा साहब एवं भारतीय संविधान संगोष्ठी
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*बाबा साहब एवं भारतीय संविधान संगोष्ठी, कमलज्योति विशेषांक लोकार्पण*
31 जनवरी। भाजपा मुख्यालय मालवीय ग्रन्थालय में कमलज्योति पत्रिका संविधान
विशेषांक का...
मुझे याद आता है अपना बचपन सुहाना !
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मुझे याद आता है अपना बचपन सुहानानानी की कथडी वो बिस्तर पुराना।नांद में
नहाना, कुए से पानी लानादूध छिरिया का पीना मस्ती में जीनावो लालटेन,चिमनी,
वो चूल्...
नमो-नमो.....आंखों ने जो देखा !
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अपन गांधी, लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय को आदर्श राजनेता मानकर राजनीति में
सक्रिय हैं। सादगी, शुचिता, विनम्रता, अध्ययनशीलता...ये सब गुण ऐसे हैं, जो
ज्यादा आ...
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