Thursday, December 2, 2021

पाठ्यचर्या से बदलेगा परिदृश्य


पाठ्यचर्या से बदलेगा परिदृश्य
१. आदमी पढ़-लिखकर खुशहाल जिन्दगी जीने लग जाय!
२. दूसरों के खुशीपूर्वक जीने में सहयोग देने की स्थिति में आ जाय। 
छोटी कक्षाओं  से लेकर कॉलेज और यूनिवर्सिटी तक की शिक्षा का कुल उद्देश्य इतना ही है। जब गणित, विज्ञान, भूगोल, इतिहास, साहित्य, भाषा आदि सभी की शिक्षा का उद्देश्य खुशहाली ही है तो फिर अनुभूति/हैप्पीनेस करिकुलम की आवश्यकता क्यों है? 
इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य खुशी की समझ  बनाना है । विद्यार्थियों के लिए वर्तमान जीवन में और भविष्य में, उनके अपने जीवन में खुशी का क्या मतलब है? दूसरों के खुशीपूर्वक जीने में सहयोग का क्या मतलब है? क्या खुशी को मापा जा सकता है? क्या खुशी की तुलना की जा सकती है? दूसरों से तुलना में मिलने वाली खुशी और अपने अंदर से प्रकट होने वाली खुशी का विज्ञान क्या है? कहीं हम सुविधाओं को ही तो खुशी नहीं मान बैठे हैं? इन सब और इन जैसे और सवालों के वैज्ञानिक जवाब अपने अंदर से,  अपने आसपास से ढूँढने के  पाठ्यक्रम का नाम है हैप्पीनेस करिकुलम।
आज जब पूरी दुनिया में आतंकवाद, ग्लोबल वॉर्मिंग और भ्रष्टाचार जैसी विकट समस्याओं के समाधान प्रशासन और शासन के जरिए खोजने की कोशिश हो रही है, उस समय यह करिकुलम इस बात का प्रमाण  बनेगा कि मानवीय व्यवहार की वजह से उत्पन्न समस्याओं का स्थायी समाधान केवल और केवल शिक्षा में संभव है। एक अच्छा विद्यालय भवन, आधुनिक कक्षाकक्ष, पढ़ाने के लिए आधुनिकतम तकनीक का उपयोग  करना शिक्षा व्यवस्था की उपलब्धियाँ नहीं हैं। यह सब अनिवार्य आवश्यकताएं हैं, परन्तु शिक्षा की असली उपलब्धि है कि क्या वह वर्तमान और भविष्य की संभावित समस्याओं का समाधान खोजकर आने वाली पीढ़ियों को उसके लिए तैयार करती है अथवा नहीं। यह पाठ्यक्रम इस संभावना की दिशा में बड़ा और महत्वपूर्ण कदम दिखाई देता है।
आज जब दुनिया के अनेक देशों में सोशल इमोशनल लर्निंग(SEL) के नाम से इस पाठ्यक्रम को लाया जा रहा है या ले आने की तैयारी हो रही तो उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा यह पहल बहुत ही महत्वपूर्ण लगता है। मुझे विश्वास है कि हमारे प्रदेश के शिक्षकों और शिक्षाविदों की सुयोग्य टीम के माध्यम से यह  पाठ्यक्रम विकसित भी होगा, संचालित भी होगा और अपने उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त करेगा। साथ ही अभिभावकों, विद्यार्थियों और प्रशासकों के साथ-साथ समाज के प्रत्येक वर्ग की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा।
 इस पाठ्यक्रम की सफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि हमारे सभी शिक्षक साथी किस हद तक इसे अपने जीवन में आत्मसात कर सकेंगे।
मैं प्रदेश के सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों और अधिकारियों को इसकी सफलता के लिए आशान्वित हूँ !

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