लाल जी टंडन
अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व किसी एक दिशा में नहीं देखा जा सकता। वे एक राजनीतिज्ञ, संसदीय परंपराओं के ज्ञाता, लोकमर्यादा के आदर्श और देश की विभिन्न समस्याओं की धरातल तक की जानकारी रखने वाले नेता हैं। अटलजी को साहित्यकार कहा जाए, कवि कहा जाए या पत्रकार, समझ नहीं आता। वे विविध विधाओं से संपन्न व्यक्तित्व हैं अटल बिहारी वाजपेयी। वे एक ओजस्वी वक्ता हैं। उनकी भाषा शैली प्रभावशाली है, जिसे सुनकर, पढ़कर लोग उनके मुरीद हो जाते हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी साहित्यिक भाषा अपने में एक अलग विधा है। उनके संपादकीय राष्ट्रवाद से ओतप्रोत हैं, जिनमें देश के ज्वलंत मुद्दों को उठाते हुए समाधान भी होता है। यह एक अनूठा उदहारण है। वीर अर्जुन, स्वदेश, राष्ट्रधर्म, पांचजन्य आदि में अटलजी ने कार्य किया। अटलजी की सक्रिय पत्रकारिता से समाज लाभान्वित हुआ है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि अटलजी के साथ काम करने अवसर मिला। उनके साथ एक लम्बा समय व्यतीत किया है। अटलजी ने विषम परिस्थितियों में पत्रकारिता शुरू की थी। उन्होंने राष्ट्रधर्म के प्रारंभिक दौर में छपाई की मशीन को खुद अपने हाथों से चलाने से लेकर वितरण तक सब कार्य किए। अटलजी की इसी जिजीविषा ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अच्छे मुकाम तक पहुंचाया।
डॉ। सौरभ मालवीय जी द्वारा लिखित पुस्तक सभी के प्रिय और हमारे आदर्श श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के पत्रकारीय और साहित्यिक पहलू को रेखांकित करती है तथा उनके जीवन का यह पक्ष लोगों के सामने लाने में सफल सिद्ध होती है। निश्चित तौर पर यह पुस्तक एक थाती है। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं हैं कि आपकी यह पुस्तक अटलजी के विभिन्न उत्कृष्ट कार्यों और उनके व्यक्तित्व के विविध रूपों से पाठकों को अवगत कराते हुए पुस्तकों के संसार में अपनी एक अलग पहचान बनाए।
पुनः डॉ। सौरभ मालवीय जी को शुभकामनाएं।
अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व किसी एक दिशा में नहीं देखा जा सकता। वे एक राजनीतिज्ञ, संसदीय परंपराओं के ज्ञाता, लोकमर्यादा के आदर्श और देश की विभिन्न समस्याओं की धरातल तक की जानकारी रखने वाले नेता हैं। अटलजी को साहित्यकार कहा जाए, कवि कहा जाए या पत्रकार, समझ नहीं आता। वे विविध विधाओं से संपन्न व्यक्तित्व हैं अटल बिहारी वाजपेयी। वे एक ओजस्वी वक्ता हैं। उनकी भाषा शैली प्रभावशाली है, जिसे सुनकर, पढ़कर लोग उनके मुरीद हो जाते हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी साहित्यिक भाषा अपने में एक अलग विधा है। उनके संपादकीय राष्ट्रवाद से ओतप्रोत हैं, जिनमें देश के ज्वलंत मुद्दों को उठाते हुए समाधान भी होता है। यह एक अनूठा उदहारण है। वीर अर्जुन, स्वदेश, राष्ट्रधर्म, पांचजन्य आदि में अटलजी ने कार्य किया। अटलजी की सक्रिय पत्रकारिता से समाज लाभान्वित हुआ है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि अटलजी के साथ काम करने अवसर मिला। उनके साथ एक लम्बा समय व्यतीत किया है। अटलजी ने विषम परिस्थितियों में पत्रकारिता शुरू की थी। उन्होंने राष्ट्रधर्म के प्रारंभिक दौर में छपाई की मशीन को खुद अपने हाथों से चलाने से लेकर वितरण तक सब कार्य किए। अटलजी की इसी जिजीविषा ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अच्छे मुकाम तक पहुंचाया।
डॉ। सौरभ मालवीय जी द्वारा लिखित पुस्तक सभी के प्रिय और हमारे आदर्श श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के पत्रकारीय और साहित्यिक पहलू को रेखांकित करती है तथा उनके जीवन का यह पक्ष लोगों के सामने लाने में सफल सिद्ध होती है। निश्चित तौर पर यह पुस्तक एक थाती है। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं हैं कि आपकी यह पुस्तक अटलजी के विभिन्न उत्कृष्ट कार्यों और उनके व्यक्तित्व के विविध रूपों से पाठकों को अवगत कराते हुए पुस्तकों के संसार में अपनी एक अलग पहचान बनाए।
पुनः डॉ। सौरभ मालवीय जी को शुभकामनाएं।
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