बात 1996-97 की है मैं गोरखपुर में विद्यार्थी था संघ कार्यालय में रहता था. एक नगर सायं शाखा की जिम्मेदारी थी. वर्तमान का मुहद्दीपुर जिसे (विश्वविद्यालय नगर) संघ की योजना में कहते थे. नगर में शिशु विद्यार्थी से लेकर तरुण विद्यार्थी तक संपर्क करना शाखा एवं अनेक प्रकार के कार्यक्रमों से जोड़ने का प्रयास वास्तव में यह रोमांचपूर्ण कार्य बहुत ही आनंद आता था, उसी क्रम में क्लास ६ से १० तक के छात्रों के साथ एक दिन का वनविहार (कुसमी जंगल) करना तय हुआ. मेरे नगर प्रचारक युगल जी थे. उनके सहयोग से आयोजन सम्पन्न हुआ. उस शिविर में शिशु विद्यार्थी रणवीर सिंह भी थे. वक्त का पहिया अपने गति से चलता रहता है. लम्बे अन्तराल के बाद रणवीर से मिलकर अच्छा लगा. आप के उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं.
(टीवी पत्रकार है Ranveer Singh )
पंडित दीनदयाल उपाध्याय – व्यक्ति नहीं विचार दर्शन है
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*डॉ. सौरभ मालवीय*“भारत में रहने वाला और इसके प्रति ममत्व की भावना रखने वाला
मानव समूह एक जन हैं। उनकी जीवन प्रणाली, कला, साहित्य, दर्शन सब भारतीय
संस्कृ...
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