वक्फ क्या है
'वक्फ' की अवधारणा इस्लामी कानूनों और परंपराओं में निहित है। यह एक मुस्लिम द्वारा मस्जिद, स्कूल, अस्पताल या अन्य सार्वजनिक संस्थानों के निर्माण जैसे धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए किए गए दान को संदर्भित करता है। वक्फ की एक और परिभाषित विशेषता यह है कि यह अविभाज्य है - जिसका अर्थ है कि इसे बेचा, उपहार या विरासत में नहीं दिया जा सकता तथा उस पर कोई बोझ नहीं डाला जा सकता। एक बार वक्फ के रूप में नामित होने के बाद, स्वामित्व वक्फ (वाकिफ) करने वाले व्यक्ति से अल्लाह को हस्तांतरित हो जाता है, जिससे यह अपरिवर्तनीय हो जाता है। चूंकि अल्लाह हमेशा के लिए है, इसलिए 'वक्फ संपत्ति' भी हमेशा के लिए है।
लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों का समाधान करना
वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य निम्नलिखित मुद्दों का समाधान करना है -
1. वक्फ संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी
2. वक्फ भूमि अभिलेखों का अधूरा सर्वेक्षण और म्यूटेशन
3. महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों के लिए अपर्याप्त प्रावधान
4. अतिक्रमण सहित बड़ी संख्या में लंबे समय से चल रहे मुकदमे। वर्ष 2013 में 10,381 मामले लंबित थे, जो अब बढ़कर 21,618 हो गए हैं।
5. किसी भी संपत्ति को अपनी जांच के आधार पर वक्फ की संपत्ति घोषित करने की वक्फ बोर्डों की अतार्किक शक्ति।
6. सरकारी भूमि को वक्फ घोषित करने से जुड़े कई विवाद।
7. वक्फ संपत्तियों के उचित लेखा-जोखा और लेखा-परीक्षण का अभाव।
8. वक्फ प्रबंधन में प्रशासनिक अक्षमता।
9. ट्रस्ट संपत्तियों के साथ अनुचित व्यवहार।
10. केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में हितधारकों का कम प्रतिनिधित्व।
वक्फ विधेयक का आधुनिकीकरण
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना है, जिसमें विरासत स्थलों की सुरक्षा और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के प्रावधान हैं।
I. वक्फ संपत्ति के रूप में घोषित गैर-मुस्लिम संपत्तियां - वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 का उद्देश्य विरासत स्थलों और व्यक्तिगत संपत्ति अधिकारों की सुरक्षा करते हुए वक्फ संपत्ति प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना है। विभिन्न राज्यों में वक्फ संपत्ति के दावों को लेकर विवाद देखे गए हैं, जिससे कानूनी लड़ाई और सामुदायिक चिंताएं पैदा हुई हैं। सितंबर 2024 के आंकड़ों के अनुसार, 25 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वक्फ बोर्डों में कुल 5973 सरकारी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है। इसके कुछ उदाहरण:
● तमिलनाडु: थिरुचेंथुरई गांव का एक किसान वक्फ बोर्ड के पूरे गांव पर दावे के कारण अपनी ज़मीन नहीं बेच पा रहा था। इसके चलते वह अपनी बेटी की शादी हेतु लिए गए ऋण को चुकाने के लिए अपनी ज़मीन बेच नहीं सका।
● गोविंदपुर गांव, बिहार: अगस्त 2024 में, बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड के अगस्त 2024 में पूरे गांव पर किए गए दावे के कारण सात परिवार प्रभावित हुए। यह मामला पटना उच्च न्यायालय में चल रहा है।
● केरल: सितंबर 2024 में एर्नाकुलम जिले के करीब 600 ईसाई परिवार अपनी पुश्तैनी जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति में अपील की है।
● कर्नाटक: 2024 में वक्फ बोर्ड द्वारा विजयपुरा में 15,000 एकड़ जमीन को वक्फ जमीन के रूप में नामित करने के बाद किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। बल्लारी, चित्रदुर्ग, यादगीर और धारवाड़ में भी विवाद उठे। हालांकि, सरकार ने आश्वासन दिया कि कोई बेदखली नहीं होगी।
● उत्तर प्रदेश: राज्य वक्फ बोर्ड के कथित भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के खिलाफ शिकायतें उठाई गई हैं।
इसके अलावा, वक्फ (संशोधन) विधेयक पर गठित संयुक्त समिति को वक्फ बोर्डों द्वारा संपत्तियों के गैरकानूनी दावे के बारे में कुछ शिकायतें प्राप्त हुए, जो इस प्रकार हैं:
● कर्नाटक (1975 और 2020): 40 वक्फ संपत्तियों को अधिसूचित किया गया, जिनमें खेत, सार्वजनिक स्थान, सरकारी भूमि, कब्रिस्तान, झीलें और मंदिर शामिल हैं।
● पंजाब वक्फ बोर्ड ने पटियाला में शिक्षा विभाग की जमीन पर दावा किया है।
इसके अतिरिक्त, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने सितंबर 2024 में अपनी प्रस्तुति के दौरान संयुक्त संसदीय समिति को सूचित किया कि भूमि और विकास कार्यालय के नियंत्रण में 108 संपत्तियां, दिल्ली विकास प्राधिकरण के नियंत्रण में 130 संपत्तियां और सार्वजनिक डोमेन में 123 संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया और मुकदमेबाजी में लाया गया।
II. मुस्लिम महिलाओं और कानूनी उत्तराधिकारियों के अधिकार- विधेयक में स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) और वित्तीय स्वतंत्रता कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर मुस्लिम महिलाओं, विशेष रूप से विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार करने का भी प्रयास किया गया है। इसके अतिरिक्त, विधेयक का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं के लाभ के लिए निम्नलिखित लक्ष्य प्राप्त करना है-
● वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता - भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए वक्फ रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण।
● कानूनी सहायता और सामाजिक कल्याण - पारिवारिक विवादों और उत्तराधिकार अधिकारों के लिए कानूनी सहायता केंद्रों की स्थापना।
● सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान - सांस्कृतिक संरक्षण और अंतर-धार्मिक संवाद को मजबूत करना।
महिलाओं की भागीदारी पारदर्शिता सुनिश्चित करती है और वक्फ संसाधनों को इस दिशा में निर्देशित करती है:
● मुस्लिम लड़कियों के लिए छात्रवृत्ति
● स्वास्थ्य सेवा और मातृत्व कल्याण
● महिला उद्यमियों के लिए कौशल विकास और माइक्रोफाइनेंस सहायता
● फैशन डिजाइन, स्वास्थ्य सेवा और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण
● उत्तराधिकार विवादों और घरेलू हिंसा मामलों के लिए कानूनी सहायता केंद्रों की स्थापना
● विधवाओं के लिए पेंशन योजनाएं
III. गरीबों का उत्थान
वक्फ धार्मिक, धर्मार्थ और सामाजिक कल्याण की जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर वंचितों के लिए। हालांकि, कुप्रबंधन, अतिक्रमण और पारदर्शिता की कमी के कारण इसका प्रभाव अक्सर कम हो जाता है। गरीबों के लिए वक्फ के कुछ प्रमुख लाभ:
1. पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए डिजिटलीकरण
● एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल वक्फ संपत्तियों की पहचान करेगा, जिससे बेहतर निगरानी और प्रबंधन सुनिश्चित होगा।
● ऑडिटिंग और अकाउंटिंग उपायों से वित्तीय कुप्रबंधन को रोका जा सकेगा और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि फंड का इस्तेमाल केवल कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए किया जाए।
2. कल्याण और विकास के लिए राजस्व में वृद्धि
● वक्फ भूमि के दुरुपयोग और अवैध कब्जे को रोकने से वक्फ बोर्डों के राजस्व में वृद्धि होगी, जिससे उन्हें कल्याणकारी कार्यक्रमों का विस्तार करने में मदद मिलेगी।
● स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास और आजीविका सहायता के लिए धन आवंटित किया जाएगा, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को प्रत्यक्ष लाभ होगा।
● नियमित ऑडिट और निरीक्षण, वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देंगे और वक्फ प्रबंधन में जनता का विश्वास मजबूत करेंगे।
IV. प्रशासनिक चुनौतियों का समाधान-
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 में निम्नलिखित उपायों के जरिये व्यवस्था में सुधार करने का लक्ष्य है:
● संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाना।
● वक्फ बोर्ड और स्थानीय अधिकारियों के बीच तालमेल को सुव्यवस्थित करना।
● हितधारकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना।
V. पिछड़े वर्गों और मुस्लिम समुदायों के अन्य संप्रदायों का सशक्तिकरण: विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड को बेहतर वक्फ शासन और निर्णय लेने के लिए विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों को प्रतिनिधित्व देकर अधिक समावेशी बनाना है-
● विधेयक में राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के वक्फ बोर्डों में बोहरा और अघाखानी समुदायों से एक-एक सदस्य को शामिल करने का प्रावधान है।
● साथ ही, बोर्ड में शिया और सुन्नी सदस्यों के अलावा पिछड़े वर्गों से संबंधित मुसलमानों का प्रतिनिधित्व होगा।
● नगर पालिकाओं या पंचायतों से दो या अधिक निर्वाचित सदस्यों को शामिल करना, वक्फ मामलों में स्थानीय शासन को मजबूत करना।
● बोर्ड/केंद्रीय वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों को छोड़कर दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे।
निष्कर्ष:
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 वक्फ प्रशासन के लिए एक धर्मनिरपेक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था तय करता है। जहां वक्फ संपत्तियां धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों की पूर्ति करती हैं, उनके प्रबंधन में कानूनी, वित्तीय और प्रशासनिक जिम्मेदारियां शामिल होती हैं जिनके लिए सुव्यवस्थित शासन की आवश्यकता होती है। वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद (सीडब्ल्यूसी) की भूमिका धार्मिक नहीं बल्कि नियामक है, जो कानूनी अनुपालन सुनिश्चित करती है और सार्वजनिक हितों की रक्षा करती है। यह विधेयक हितधारकों को सशक्त बनाकर और शासन में सुधार करके देश में वक्फ प्रशासन के लिए एक प्रगतिशील और निष्पक्ष ढांचा तैयार करता है।
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Thursday, April 3, 2025
मेरे प्रेरणास्रोत: स्वामी विवेकानंद
गिरकर उठना, उठकर चलना... यह क्रम है संसार का... कर्मवीर को फ़र्क़ न पड़ता किसी जीत और हार का... क्योंकि संघर्षों में पला-बढ़ा... संघर्ष ही मेरा जीवन है...
-डॉ. सौरभ मालवीय
डॉ. सौरभ मालवीय
अपनी बात
सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र-निर्माण की तीव्र आकांक्षा के कारण छात्र जीवन से ही सामाजिक सक्रियता। बिना दर्शन के ही मैं चाणक्य और डॉ. हेडगेवार से प्रभावित हूं। समाज और राष्ट्र को समझने के लिए "सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और मीडिया" विषय पर शोध पूर्ण किया है, परंतु सृष्टि रहस्यों के प्रति मेरी आकांक्षा प्रारंभ से ही है।
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डॉ. सौरभ मालवीय
2/564, अवधपुरी खण्ड 2
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लखनऊ, उत्तर प्रदेश
पिन- 226010
मो- 8750820740
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ईमेल - malviya.sourabh@gmail.com
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डॉ. सौरभ मालवीय
एसोसिएट प्रोफेसर
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
लखनऊ विश्वविद्यालय
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मो- 8750820740
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