Tuesday, December 19, 2023

आमजन के सपनों को साकार करता मोदी का सुशासन


डॉ. सौरभ मालवीय 
  
प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल के दस वर्ष पूर्ण होने वाले हैं। उन्होंने 26 मई, 2014 को प्रथम बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के पश्चात घोषणा की थी कि उनकी सरकार जनहित के लिए तथा अन्तयोदय के लिए कार्य करेगी। उन्होंने अपनी घोषणा में जो शब्द कहे, उस पर वह शत-प्रतिशत खरे सिद्ध हुए। उनके अब तक के संपूर्ण कार्यकाल पर दृष्टि डालें तो यह सेवा एवं सुशासन पर ही केन्द्रित रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि सुशासन राष्ट्र की प्रगति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हमारा मंत्र, उद्देश्य व सिद्धांत नागरिकों को प्राथमिकता देने का है। मेरा सपना सरकार को लोगों के समीप लाने का है, ताकि वे प्रशासनिक प्रक्रिया के सक्रिय भागीदार बन सकें। सरकारी कामकाज की प्रक्रिया को आसान कर आसानी से सुशासन सुनिश्चित किया जा सकता है। उनका कहना है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां के नागरिक शासन का हिस्सा बनने के लिए अत्यधिक उत्साहित हैं। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में, निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी होना बहुत महत्वपूर्ण घटक है। 
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के शासन में किए गए विभिन्न पहलों और सुधारों के बारे में लिखते रहते हैं। उनके शब्दों में- “130 करोड़ भारतीयों ने फैसला किया है कि वे भारत को आत्मानिर्भर बनाएंगे। आत्मनिर्भरता पर हमारा जोर, वैश्विक समृद्धि में योगदान करने की दृष्टि से प्रेरित है। हमारी सरकार एक ऐसी सरकार है, जो प्रत्येक भारतीय का ध्यान रखती है और उसके लिए चिंतित रहती है। हम लोक-केंद्रित और मानवीय दृष्टिकोण से प्रेरित हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र से प्रेरित होकर हमारी सरकार ने लोक-समर्थक शासन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए हैं, जो गरीबों, युवाओं, किसानों, महिलाओं और वंचित समुदाय की मदद करते हैं।”
वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अन्तयोदय के मूल तत्वों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इस समयावधि में उन्होंने विश्वभर के अनेक देशों में यात्राएं करके उनसे संबंध प्रगाढ़ बनाने का प्रयास किया है। इससे विश्व के अनेक देशों के साथ भारत के संबंध बेहतर हुए तथा उनके साथ अनेक रक्षा एवं व्यापारिक समझौते भी हुए। उन्होंने देश में लोगों के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक विकास के लिए अनेक जनकल्याण की योजनाएं प्रारम्भ की हैं। मोदी सरकार ने विकास का नारा दिया तथा विकास को ही प्राथमिकता दी। विगत लगभग दो दशकों में जिस प्रकार प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने देश के सभी वर्गों के लिए बिना किसी पक्षपात के कार्य किया है, उससे जनता के मध्य एक सकारात्मक संदेश गया है। विपक्षी दल आरंभ से ही भारतीय जनता पार्टी के प्रति लोगों के मन में विष घोलने का कार्य करते आए हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के शीर्ष नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी विशेषकर नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए। किन्तु जनता ने भारतीय जनता पार्टी को अपना अपार जनसमर्थन दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनसाधारण का विश्वास, समर्थन एवं आशीर्वाद प्राप्त हुआ। परिणामस्वरूप जनता ने केंद्र की कांग्रेस सरकार को सत्ता विहीन करके भारतीय जनता पार्टी को केंद्र की बागडौर सौंप दी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तथा उन्होंने जनकल्याण के कार्यों की गंगा प्रवाहित कर दी। इसका परिणाम भी उत्साहजनक रहा। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता ने भारतीय जनता पार्टी को सराहनीय बहुमत दिलाया। इस बार भी नरेंद्र मोदी ही देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने अपने जनकल्याण के कार्यों की गति को और अधिक तीव्र कर दिया। उनके कार्यों की देश ही नहीं, अपितु विश्वभर में सराहना होने लगी।       
विगत मई में अपने कार्यकाल के नौ वर्ष पूर्ण होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पुस्तिका भी जारी की थी, जिसमें सरकार द्वारा करवाए गये जनकल्याणकारी कार्यों का लेखा- जोखा था। इसके अनुसार सरकार ने देश के  80 करोड़ लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करवाई। जनधन योजना के अंतर्गत लोगों के 48.27 करोड़ खाते खोलकर उन्हें वित्तीय सेवाओं से जोड़ा गया। सुखद बात है कि इनमें से लगभग 26.54 करोड़ खाते महिलाओं के खोले गए। इस प्रकार महिलाओं को वित्तीय अधिकार प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त 133 करोड़ लोगों के आधार को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से जोड़ा गया था तथा उन्हें लगभग 25 लाख करोड़ रुपये की धनराशि वितरित की गई।  
बेघर लोगों के लिए ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत 2.5 करोड़ आवासों का निर्माण करवाया गया। विशेष बात यह है कि इन आवासों में से लगभग 70 प्रतिशत में महिलाओं का नाम है अर्थात किसी में वे स्वयं स्वामी हैं तथा किसी में उनकी भागीदारी संयुक्त रूप से सम्मिलित है। इससे महिलाओं को सम्मान मिला तथा उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। अब वे केवल घर की लक्ष्मी ही नहीं हैं, अपितु स्वामी भी हैं। महिलाओं की सुविधा एवं सुरक्षा के लिए 11.72 करोड़ शौचालयों का निर्माण करवाया गया। इसके अतिरिक्त 6.5 करोड़ सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करवाया गया। इस प्रकार देशभर के 4335 कस्बों एवं ग्रामों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाई गई।
महिलाओं के स्वास्थ्य के दृष्टिगत उन्हें चूल्हे के धुंए से छुटकारा दिलाने के लिए उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 9.6 करोड़ एलपीजी सिलेंडर वितरित किए गए। विगत मार्च में सरकार ने सिलेंडर पर 200 रुपये का अनुदान एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया है। पूर्व में महिलाओं को दूर से जल लाना पड़ता था, इसलिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत 8.67 करोड़ घरों में जल आपूर्ति सुनिश्चित करवाई गई। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत 69 प्रतिशत महिलाओं को लाभान्वित किया गया। इस योजना के अंतर्गत विनिर्माण, प्रसंस्करण, व्यापार या सेवा क्षेत्र में गैर-कृषि क्षेत्र में लगे आय सृजित करने वाले सूक्ष्म उद्यमों को दस लाख रुपये तक के सूक्ष्म ऋण की सुविधा प्रदान की जाती है।
मोदी सरकार ने कृषकों के कल्याण के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किए हैं। देशभर के 11.39 करोड़ छोटे कृषकों को प्रधानमंत्री किसान निधि के माध्यम से प्रत्येक वर्ष छह हजार रुपये प्रदान किए जाते हैं। इसके साथ ही 37.59 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत पंजीकृत किया गया। इसमें प्राकृतिक आपदा के कारण फसल नष्ट होने पर सरकार द्वारा किसानों को क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है। 
राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के अंतर्गत 1.37 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। सरकार ने बेरोजगारी को कम करने के लिए विशेष पग उठाए, जिसके परिणामस्वरूप युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सका। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 से जनवरी 2023 तक 10 लाख सरकारी नौकरियां प्रदान करने अभियान चलाया। लगभग 4.78 करोड़ नए सदस्यों ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की सदस्यता ली। स्टार्ट अप इंडिया के अंतर्गत 10.1 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा किए गए। सरकार उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के माध्यम से आगामी पांच वर्षों में 60 लाख रोजगार सृजन करने की योजना बना रही है। 
शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं। इस समयावधि में आईटीआई की संख्या 11847 से बढ़ाकर 14955 की गई। देश में 390 नए विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी जनकल्याणकारी कार्य किए हैं। इससे पूर्व देश में एम्स की संख्या केवल आठ थी, जबकि आज 23 एम्स हैं। चिकत्सीय महाविद्यालयों की संख्या भी बढ़ाई गई। पूर्व में 641 चिकित्सीय महाविद्यालय थे, जबकि अब इनकी संख्या 1341 है। इसके अतिरिक चिकित्सीय सीटों की संख्या 82466 से बढ़ाकर 152129 कर दी गई, जिससे कि अधिक छात्र प्रवेश ले सकें। इसके अतिरिक टीकारण अभियान चलाकर 220 करोड़ लोगों को कोविड के टीके लगाए गए। इसके साथ ही कोरोना काल के दौरान विदेशों से भारतीयों को स्वदेश लाया गया। इस दौरान लोगों को नि:शुल्क राशन वितरण भी सुनिश्चित किया गया।  
परिवहन एवं यातायात के साधनों का भी विकास किया गया। सरकार द्वारा 13 वंदे भारत रेलें प्रारंभ की गई हैं। आगामी तीन वर्षों में 400 स्वदेश निर्मित ट्रेनें इसमें सम्मिलित करने का कार्य जारी है। मोदी के शासनकाल में देश ने लगभग सभी क्षेत्रों में उन्नति की है। इनमें प्रमुख रूप से अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण, अनुच्छेद 370 की समाप्ति, तीन तलाक को अवैध घोषित करते हुए इस पर प्रतिबंध लगाना, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाना आदि सम्मिलित हैं।
जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, उस समय उनके सामने अनेक चुनौतियां मुंह बाएं खड़ी थीं। ऐसी परिस्थिति में प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के सहयोगियों के लिए चुनौतियों का सामना करते हुए विकास के पहिये को आगे बढ़ाना सरल कोई कार्य नहीं था। किन्तु उन्होंने चुनौतियों का धैर्यपूर्वक सामना किया। उनका परिश्रम रंग लाया तथा उन्हें सफलता मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्ययोजना का आधार सिद्ध करता है कि उनके पास दूरदृष्टि ही नहीं, अपितु स्पष्ट दृष्टि भी है, तभी तो देश प्रत्येक क्षेत्र में निरंतर उन्नति कर रहा है। 
भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में हुए कार्यों से अत्यधिक उत्साहित दिखाई दे रहा है। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी संगठन अपनी रणनीति पर गंभीरता से कार्य कर रहा है। पार्टी नेताओं को पूर्ण आशा है कि केंद्र में तीसरी बार भी भाजपा की सरकार बनेगी।सरकार जल कल्याण की अनेक योजनाओं को लागू करने पर बल दे रही है।    
नि:संदेह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुशासन के माध्यम से देश को एक विकसित एवं शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित कर रहे हैं।

Sunday, December 17, 2023

सार्थक रविवार




कमला नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान, सुलतानपुर

Wednesday, December 13, 2023

सानिध्य


सानिध्य !! आशीर्वाद !! मार्गदर्शन !!
प्रो.आलोक कुमार राय 
मा.कुलपति
लखनऊ विश्वविद्यालय

Sunday, December 10, 2023

समाचार पत्रों में

  










हमारे प्रेरणास्रोत सौरभ मालवीय


पत्रकारिता अगर ठीक से सीखी नहीं जाएगी तो प्रेषित नहीं की जा सकती है, और सीखने के लिए अच्छे शिक्षक का होना  ज़रूरी है… ऐसे ही शिक्षक हैं हमारे प्रेरणास्रोत सौरभ मालवीय सर 

लखनऊ विवि के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर बनने पर सर को बहुत बधाई
बता दें कि डॉ. सौरभ मालवीय 'राष्ट्रवादी पत्रकारिता के शिखर पुरुष अटल बिहारी बाजपेयी' और ‘भारत बोध’ किताब भी लिख चुके हैं। पत्रकारिता विधा में उनके रचना कौशल के लिए डॉ. सौरभ मालवीय को पंडित प्रताप नारायण मिश्र साहित्यकार सम्मान समेत तमाम अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। 

उल्लेखनीय है कि डॉ.मालवीय पूर्व में वाजपेयी सरकार में बीजेपी मीडिया सेल से जुड़े थे और वर्ष 2010 तक मीडिया सेल में समन्वयक के रूप में खासे लोकप्रिय रहे। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर पीएचडी करने वाले सौरभ मालवीय ने राष्ट्रवादी लेखक और वक्ता के नाते अपनी खास पहचान बनाई है। डॉ. सौरभ टीवी डिबेट में शामिल होते रहते हैं। कुछ समय तक वह ‘माखनलाल यूनिवर्सिटी’ के नोएडा कैंपस में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
-शिवेंद्र सिंह बेघल 

Saturday, December 9, 2023

एक नयी यात्रा

 













धन्यवाद !
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय - भोपाल !!
एक नयी यात्रा .....मिलते है लखनऊ विश्वविद्यालय ...!!!

Thursday, December 7, 2023

लखनऊ विवि के पत्रकारिता विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर बने डॉ.सौरभ मालवीय

   लखनऊ विवि के पत्रकारिता विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर बने डॉ.सौरभ मालवीय



एसोसिएट प्रोफेसर बने डॉ.सौरभ मालवीय

 


प्रभु श्री सीतारामजी की कृपा से बड़े भाई की भूमिका में सतत मेरा मार्गदर्शन कर बेहतर करने हेतु प्रेरित करने वाले डॉ. सौरभ मालवीय जी की लखनऊ विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के रूप में नियुक्ति मेरे लिए किसी निजी उपलब्धि से कम नहीं है।
'जिमि सरिता सागर महुं जाही।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएं।
धरमसील पहिं जाहिं सुभाएं।।'
भावार्थ: जैसे नदियां बहती हुई सागर की ओर ही जाती हैं, जबकि समुद्र को उसके जल की कामना नहीं होती। वैसे ही, यश (सुख-संपत्ति) भी बिना कामना के धर्मशील (विचारवान) लोगों के पास जाकर स्वयं सुशोभित होते हैं। (मानस बालकांड)
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लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर बने डॉ. सौरभ मालवीय 
लखनऊ विश्वविद्यालय ने लोकप्रिय मीडिया शिक्षक एवं राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सौरभ मालवीय को पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर (सह आचार्य) के पद पर नियुक्त किया है। उन्होंने गुरुवार को विश्विद्यालय में अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है।
डॉ.सौरभ मालवीय इससे पहले माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत थे। डॉ. मालवीय को लखनऊ विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर चुने जाने पर माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में उनके लिए विदाई समारोह आयोजित किया गया था। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.जी सुरेश और कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने एक कार्यक्रम में डॉ. सौरभ मालवीय को स्मृति चिह्न भेंट किया और संस्थान में उनके साथ बिताए तमाम सुखद स्मृतियों को साझा किया।
विदित हो कि डॉ. सौरभ मालवीय ने अपनी लिखित पुस्तक 'राष्ट्रवादी पत्रकारिता के शिखर पुरुष अटल बिहारी बाजपेयी' और ‘भारत बोध’ के माध्यम से लेखन क्षेत्र में भी ख्याति अर्जित किया है। पत्रकारिता विधा में उनके रचना कौशल के लिए डॉ. मालवीय को पं. प्रताप नारायण मिश्र साहित्यकार सम्मान समेत तमाम अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। 
उल्लेखनीय है कि डॉ. मालवीय पूर्व में वाजपेयी सरकार में बीजेपी मीडिया सेल से जुड़े थे और वर्ष 2010 तक मीडिया सेल में समन्वयक के रूप में खासे लोकप्रिय रहे। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर पीएचडी करने वाले श्री मालवीय, राष्ट्रवादी लेखक और वक्ता के रूप में अपनी खास पहचान बनाई है। डॉ. सौरभ तमाम टीवी चैनलों पर  डिबेट में शामिल होते रहते हैं तथा सरकार के नीतियों व कार्यों पर अपना विचार प्रकट करते हैं।
शिवेश प्रताप 

Wednesday, December 6, 2023

स्मृति

 

Makhanlal Chaturvedi University के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक Sourabh Malviya जी अब लखनऊ विश्वविद्यालय के सह–प्राध्यापक हुए। नयी जगह–नये दायित्व के लिए बहुत–बहुत शुभकामनाएं भाई साहब। 
चित्र : MCU में आयोजित विदाई समारोह का। कुलपति Prof. K G Suresh और कुलसचिव Prof. Avinash Bajpai ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस अवसर पर हम सबने उनके साथ बिताए यादगार लम्हों को याद किया।

Sunday, December 3, 2023

विधानसभा चुनाव 2023 - मध्य प्रदेश - भोपाल






Friday, December 1, 2023

उत्सव अभिव्यक्ति का






दैनिक जागरण - लखनऊ
संवादी
उत्सव अभिव्यक्ति का

Sunday, October 22, 2023

जन्मदिन की शुभकामनाएं

 

श्री अमित शाह जी का आज जन्मदिन है! जनसंघ से बीजेपी की यात्रा तक सफलतम अध्यक्ष के रूप में भारतीय राजनीति में बेजोड़ नेता है। भारत सरकार के गृहमंत्री जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं

Saturday, October 21, 2023

पुस्तक भेंट



चिंतक,विचारक, स्तम्भकार और राजनेता श्री हृदयनारायण दीक्षित हिन्दी जगत के हस्ताक्षर है। श्री दीक्षित जी अपनी पुस्तक आशीर्वाद स्वरूप सप्रेम दिए और मुझे भी अपनी पुस्तक 'भारत बोध भेट करने का अवसर प्राप्त हुआ।

Tuesday, October 17, 2023

उत्तर प्रदेश भाजपा- मुखपत्र कमल ज्योति के अंक में प्रकाशित मेरा लेख

  


Thursday, October 12, 2023

हिन्दुत्व एक जीवन दर्शन है

हिन्दू शब्द का प्रयोग कब प्रारंभ हुआ यह बताना कठिन है. परंतु यह सत्य है कि हिन्दू शब्द अत्यंत प्राचीन वैदिक वाङ्मय के ग्रन्थों मे साक्षात् नहीं पाया जाता है. परन्तु यह भी निर्विवाद है कि हिन्दू शब्द का मूल निश्चित रूप से वेदादि प्राचीन ग्रन्थों में विद्यमान है.
भारत में हिन्दू नाम की उपासना पद्धति है ही नही यहां तो कोई वैष्णव है या शैव अथवा शक्य है कबीरपंथी है सिख है आर्यसमाजी है जैन और बौद्ध है. वैष्णवों में भी उपासना के अनेक भेद हैं. अर्थात् जितने व्यक्ति उपासना और आस्था की उतनी ही विधियां हर विधि को समाज से स्वीकारोक्ति प्राप्त है. पश्चिम के राजनीतिज्ञ व समाजशात्री  भारतीय संस्कृति और समाज के इस पक्ष को या तो समझ ही नहीं सके या उन्होने पश्चिमी अवधारणाओं के बने सांचों में ही भारत को ढ़ालने का प्रयास किया.

अनेक सज्जनों द्वारा विभिन्न प्रकार की व्याख्याओं से यह शब्द भी विवादित हो गया है. यद्यपि यह शब्द भारत का ही पर्याय है और यह जीवन पद्धति की ओर इंगित करता है. विख्यात स्तम्भकार पद्म श्री मुजफ्फर हुसैन कहते हैं -
‘‘भारतीयता तो भारत की नागरिकता है, भारत की राष्ट्रीयता हिन्दुत्व है.’’
ऐसा भी प्रचारित किया गया है कि हिन्दू नाम अपमानजनक   है जैसा कि भारतीय फारसी के शब्दकोशों में मिलता है. इनमें हिन्दू का अर्थ द्वेषवश, काला, चोर आदि किया गया है जो कि पूर्णतया असत्य है. अरबी व फारसी भाषा में ‘हिन्द’ का अर्थ है ‘सुन्दर’ एवं ‘भारत का रहने वाला’ आदि. हिंदू चिंतक श्री कृष्णवल्लभ पालीवाल बताते हैं कि जब 1980-82 में, मैं बगदाद में ईराक सरकार का वैज्ञानिक सलाहकार था तो मुझे वहां यह देखकर आश्चर्य हुआ कि अनेक युवक व युवतियों के नाम ‘अलहिन्द’ व ‘विनत हिन्द’ थे. तो मैंने आश्चर्यवश उनसे पूछा कि ये नाम तो हिन्दुओं जैसे लगते है जिसका अर्थ है ‘सुन्दर’ और इसी भाव में हमारे ये नाम है.
कुछ लोगों ने अपने को ‘हिन्दू’ न कहकर ‘आर्य‘ कहना ज्यादा उचित समझा है, किंतु रामकोश में सुस्पष्ट लिखा है कि-
हिन्दूर्दुष्टो न भवति नानार्याे न विदूषकः।
सद्धर्म पालको विद्वान् श्रौत धर्म परायणः।।
यानी ‘‘हिन्दू दुष्ट, दुर्जन व निन्दक नहीं होता है. वह तो सद्धर्म का पालक, सदाचारी, विद्वान, वैदिक धर्म में निष्ठावान और आर्य होता है.“ अतः हिन्दू ही आर्य है और आर्य ही हिन्दू है. समय की मांग है कि हम इस विवाद को भूलकर मिल जुलकर हिन्दू धर्म व हिन्दू संस्कृति को उन्नत करने और हिन्दू राज्य स्थापित करने प्रयास करें.

स्वामी विज्ञानानन्द ने हिन्दू नाम की उत्पति के विषय में कहा कि हमारा हिन्दू नाम हजारों वर्षों से चला आ रहा है जिसके वेदो संस्कृत व लौकिक साहित्य में व्यापक प्रमाण मिलते है. अतः हिन्दू नाम पूर्णतया वैदिक, भारतीय और गर्व करने योग्य है. वस्तुतः यह नाम हमें विदेशियों ने नहीं दिया है बल्कि उन्होंने अपने अरबी व फारसी भाषा के साहित्य में उच्च भाव में प्रयोग किया है.
शताब्दियों से सम्पूर्ण भारतीय समाज ‘‘हिन्दू“ नाम को अपने धार्मिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय एवं जातिय समुदाय के सम्बोधन के लिए गर्व से प्रयोग करता रहा है. आज भारत ही नहीं, विश्व के कोने-कोने में बसे करोड़ों हिन्दू अपने को हिन्दू कहने में गर्व अनुभव करते हैं. वे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपने धर्म एवं संस्कृति से प्रेरणा पाकर असीम सफलता प्राप्त कर रहे हैं. वे हिन्दू जीवन मूल्यों से स्फूर्ति पाकर समता और कर्मठता के आधार पर, भारत में ही नहीं, विदेशों में भी, अपनी श्रेष्ठता का परिचय दे रहे हैं. वे श्रेष्ठ मानवीय जीवन मूल्यों के आधार पर समाज में प्रतिष्ठित भी हो रहे है.

हिन्दू पुनर्जागरण के पुरोधा महर्षि दयानन्द सरस्वती, युवा हिन्दू सम्राट स्वामी विवेकानन्द, स्वामी श्रद्धानन्द, योगी श्री अरविंद, भाई परमानन्द, स्वातान्त्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर आदि महापुरुषों ने ‘हिन्दू’ नाम को गर्व के साथ स्वीकार कर आदर प्रदान किया है. स्वामी विवेकानन्द एवं स्वातन्त्र्य वीर सावरकर ने हिन्दू नाम के विरूद्ध चलाए जा रहे मिथ्या कुप्रचार का पूर्ण सामथ्र्य से विरोध किया. सावरकर जी ने प्राचीन भारतीय शास्त्रों के आधार पर इस नाम की मौलिकता को बड़ी प्रामाणिता के साथ पुनः स्थापित किया तथा बल देकर सिद्ध किया कि ‘‘हिन्दू नाम पूर्णतया भारतीय है जिसका मूल वेदों का प्रसिद्ध ‘सिन्धु’ शब्द है.’
हिन्दू शब्द का प्रयोग कब प्रारम्भ हुआ, इसकी निश्चित तिथि बताना कठिन अथवा विवादास्पद होगा. परन्तु यह सत्य है कि हिन्दू शब्द अत्यन्त प्राचीन वैदिक वाङ्मय के ग्रन्थों में साक्षात् नहीं पाया जाता है. परन्तु यह भी निर्विवाद है कि हिन्दू शब्द का मूल निश्चित रूप से वेदादि प्राचीन ग्रन्थों में विद्यमान है. औपनिषदिको काल के प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत एवं मध्यकालीन साहित्य में हिन्दू शब्द पार्यप्त मात्रा में मिलता है. अनेक विद्वानों का मत है कि हिन्दू शब्द प्राचीन काल से सामान्य जनों की व्यावहारिक भाषा में प्रयुक्त होता रहा है. जब प्राकृत एवं अपभ्रंश शब्दों का प्रयोग साहित्यिक भाषा के रूप में होने लगा, उस समय सर्वत्र प्रचलित हिन्दू शब्द का प्रयोग संस्कृत ग्रन्थों में होने लगा. ब्राहिस्र्पत्य कालिका पुराण, कवि कोश, राम कोश, कोश, मेदिनी कोश, शब्द कल्पद्रुम, मेरूतन्त्र, पारिजात हरण नाटक, भविष्य पुराण, अग्निपुराण और वायु पुराणादि संस्कृत ग्रंन्थों में हिन्दू शब्द जाति अर्थ में सुस्पष्ट मिलता है.

इससे यह स्पष्ट होता है कि इन संस्कृत ग्रन्थों के रचना काल से पहले भी हिन्दू शब्द का जन समुदाय में प्रयोग होता था.
संस्कृत साहित्य में ‘हिन्दू’ शब्द
संस्कृत साहित्य में पाए गए हिन्दू शब्द प्रस्तुत है-
हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्परः।
वेद… हिन्दू मुख शब्दभाक्।।
(वृद्ध स्मृति)
‘‘जो सदाचारी वैदिक मार्ग पर पर चलने वाला, हिंसा से दुःख मानने वाला है, वह हिन्दू है.“
बलिना कलिनाच्छन्ने धर्मे कवलिते कलौ।
यावनैर वनीक्रान्ता, हिन्दवो विन्ध्यमाविशन्।।
(कालिका पुराण)
‘जब बलवान कलिकाल ने सबको प्रच्च्छन्न कर दिया और धर्म उसका ग्रास बन गया तथा पृथ्वी यवनों से आक्रान्त हो गई, तब हिन्दू खिसककर विन्ध्याचल की ओर चले गए.’’
इसी प्रकार का भाव यह श्लोक भी प्रकट करता हैः
यवनैरवनी क्रान्ता, हिन्दवो विन्ध्यमाविशन्।
बलिना वेदमार्र्गायं कलिना कवलीकृतः।।
(शार्ङ्धर पद्धति)
‘यवनों के आक्रमण से हिन्दू विन्ध्याचल पर्वत की ओर चले गए.’
हिन्दूः हिन्दूश्च प्रसिद्धौ दुष्टानां च विघर्षणे.
(अमर कोश)
‘हिन्दू’ और ‘हिन्दू’ दोनों शब्द दुष्टों को विघर्षित करने वाले अर्थ में प्रसिद्ध हैं.’
‘‘हिन्दू सद्धर्म पालको विद्वान् श्रौत धर्म परायणः।
(राम कोश)
हिन्दूः हिन्दूश्च हिन्दवः।
(मेदिनी कोश)
“हिन्दू, हिन्दू और हिन्दुत्व तीनों एकार्थक है.’
हिन्दू धर्म प्रलोप्तारौ जायन्ते चक्रवर्तिनः।
हीनश्च दूषयप्येव स हिन्दूरित्युच्यते प्रिये।।
(मेरु तन्त्र)
‘‘हे प्रिये! हिन्दू धर्म को प्रलुप्त करने वाले चक्रवर्ती राजा उत्पन्न हो रहे हैं. जो हीन कर्म व हीनता का त्याग करता है, वह हिन्दू कहा जाता है.’’
हिनस्ति तपसा पापान् दैहिकान् दुष्टमानसान्।
हेतिभिः शत्रुवर्गः च स हिन्दूः अभिधीयते।।
(परिजातहरण नाटक)
‘जो अपनी तपस्या से दैहिक पापों को दूषित करने वाले दोषों का नाश करता है, तथा  अपने शत्रु समुदाय का भी संहार करता है, वह हिन्दू है.’
हीनं दूषयति इति हिन्दू जाति विशेषः
(शब्द कल्पद्रुमः)
‘हीन कर्म का त्याग करने वाले को हिन्दू कहते हं.’
इन प्रमाणों से यह स्पष्ट है कि प्राचीन एवं अर्वाचीन संस्कृत साहित्य में हिन्दू शब्द का पर्याप्त उल्लेख के साथ  साथ हिन्दू के लक्षणों को भी दर्शाया गया है.

*लेखक ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर शोध किया है। 

Saturday, September 30, 2023

समाचार-पत्रों में

  




Thursday, September 28, 2023

मातृ शक्ति राष्ट्र शक्ति



जैन समाज द्वारा आयोजित "मातृ शक्ति राष्ट्र शक्ति" कार्यक्रम में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ।
डालीगंज, लखनऊ

Thursday, September 14, 2023

इंटींग्रल विश्विद्यालय - लखनऊ







इंटींग्रल विश्विद्यालय - लखनऊ

भारत की राष्‍ट्रीयता हिंदुत्‍व है