पुण्य सलिला मां नर्मदा से साक्षात्कार
मातृत्व भारतीय संस्कृति में अतुलनीय स्थान है।मातृत्व केवल एक शरीर में नहीं बसता, अपितु एक भाव के रूप में संपूर्ण समाज में प्रभावित होता। मेकलसुता मां नर्मदा मातृत्व के भाव का एक ऐसा ही विराट प्रवाह है जो अनंतकाल सेअपनी भूमि और उस पर जन्म लेने वाली असंख्य संतानों को सभ्यता,संस्कारों,भक्ति,कला,प्रेम,स्वतंत्रता और समृद्धि के जीवन मूल्यों से पोषित करती है और अन्ततः अपनी सन्तानों के लिए मुक्ति का साधन भी बनती है।
22,5,2016
मातृत्व भारतीय संस्कृति में अतुलनीय स्थान है।मातृत्व केवल एक शरीर में नहीं बसता, अपितु एक भाव के रूप में संपूर्ण समाज में प्रभावित होता। मेकलसुता मां नर्मदा मातृत्व के भाव का एक ऐसा ही विराट प्रवाह है जो अनंतकाल सेअपनी भूमि और उस पर जन्म लेने वाली असंख्य संतानों को सभ्यता,संस्कारों,भक्ति,कला,प्रेम,स्वतंत्रता और समृद्धि के जीवन मूल्यों से पोषित करती है और अन्ततः अपनी सन्तानों के लिए मुक्ति का साधन भी बनती है।
22,5,2016
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