मातृत्व भारतीय संस्कृति में अतुलनीय स्थान है. मातृत्व केवल एक शरीर में नहीं बसता, अपितु एक भाव के रूप में संपूर्ण समाज में प्रभावित होता. मेकलसुता मां नर्मदा मातृत्व के भाव का एक ऐसा ही विराट प्रवाह है, जो अनंतकाल से अपनी भूमि और उस पर जन्म लेने वाली असंख्य संतानों को सभ्यता,संस्कारों, भक्ति, कला, प्रेम, स्वतंत्रता और समृद्धि के जीवन मूल्यों से पोषित करती है और अन्ततः अपनी सन्तानों के लिए मुक्ति का साधन भी बनती है.
मेरठ में पहला अंतरराष्ट्रीय स्तर का अश्व रोग मुक्त कम्पार्टमेंट स्थापित
-
पशु स्वास्थ्य प्रणाली और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुविधा के लिए एक महत्वपूर्ण
कदम के रूप में देश के पहले अश्व रोग मुक्त कम्पार्टमेंट (ईडीएफसी) के लिए
वैश्व...
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment