भारत के ह्रदय प्रदेश, मध्य -प्रदेश जो अपने सांस्कृतिक ,पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विख्यात है। जबलपुर जनपद के भेड़ाघाट में प्रकृति देवी ने अपना सौन्दर्य खूब लुटाया है। वहां प्रकृति के सौंदर्य कि कथा स्यम भगवती नर्मदा अविराम कहती रहती है। इस कथा यज्ञ के दर्शन से धुआँधार में प्रतेक दर्शक पवित्र होते रहते है। इस पावन कथा के श्रोता देव -देव भगवान शिव अपने शुभ्र संगमरमरीय स्वरुप में स्वयं विराजमान है।
इस उत्तुंग शिखर पर सातवी शताब्दी के बने काले पत्थरों की एक भव्यतम संरचना भारतीय संस्कृति पर मुगलों के आक्रामण कि शोकांतिका रही है। ६४ जोगिन मंदिर के खँडहर अभी भी यह वाट जोह रहे है कि भारत माता का वह नौ विक्रमादित्य कब आएगा जो उनकी पौराणिक गरिमा को जिवंत कर सकेगा। औरंगजेब के अत्याचार कि यह कोई पहली या अंतिम दासता नहीं है देश के ३० हजार से भी ज्यादा सांस्कृतिक केन्द्रों को बेरहमी से लूटा गया तोड़ा गया और उन्हें मजारो या मस्जिदों में बदल दिया गया। आखिर ये भगनावशेष कब तक भारतीय संस्कृति को चिढ़ाते रहेंगे ?
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