सौरभ मालवीय
आन्ध्र प्रदेश की तरह तमिलनाडु ने भी मुसलमानों और ईसाइयों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण देने का बिल पास कर दिया है। इस बिल में पिछड़े मुसलमानों और ईसाइयों को आरक्षरण देने का प्रावधान है। तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम। करूणानिधि भगवान श्रीराम के होने का और श्रीराम सेतु के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न खड़ा कर रहे है। उन्हें यह समझना चाहिए कि यह देश सनातन है और इस देश की जनता की भावनाओं और आस्थाओं से खिलवाड़ करने वालों को यह समाज कभी माफ नहीं करता है।
23 जुलाई को आन्ध्र प्रदेश भी मुस्लिम आरक्षण विधेयक पारित कर चुका है। इसके तहत पिछड़े मुसलमानों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में दाखिलों में 4 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया। मुस्लिम आरक्षण को हाई कोर्ट में चुनौती दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा कामर्सु श्रीतेजा ने दी। लेकिन, उसने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। तब सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा। अदालत ने मुस्लिम आरक्षण पर स्टे लगाते हुए इसके आधार पर कॉलेजों में नए एडमिशन करने पर रोक लगा दी। कोर्ट फिलहाल इस मामले पर सुनवाई कर रहा है।
आखिर धर्म के आधार पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने वाले ये जन-प्रतिनिधि देश को कहां ले जाएंगे।
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment