Monday, July 28, 2025

विद्या भारती के स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत के साथ एक क्षेत्रीय भाषा की होगी पढ़ाई

 

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। विद्या भारती मूल्य आधारित और समावेशी शिक्षा से राष्ट्र निर्माण में लगा है। संस्कृति युक्त शिक्षा प्रदान करने के लक्ष्य से संगठन देशभर के 684 जिलों में 12118 विद्यालयों का संचालन कर रहा है। 8,000 से अधिक अनौपचारिक शिक्षा केंद्र भी हैं। यहां वंचित वर्ग को निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है। वर्तमान में 35.33 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं विद्या भारती के स्कूलों में हैं। नई शिक्षा नीति के अनुसार पाठ्यक्रम को अपनाया जा रहा है। इन स्कूलों में हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी के साथ एक क्षेत्रीय भाषा पढ़ाने की तैयारी है। वर्तमान सत्र से इस दिशा में प्रयास शुरू हो रहा है। यह जानकारी संगठन के क्षेत्रीय मंत्री डा. सौरभ मालवीय ने दी।

ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया कि ज्वाला देवी व रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में इसी सत्र से गुजरानी भाषा पढ़ाई जाएगी। अन्य जिलों में उपलब्ध शिक्षकों व अभिभावकों की अपेक्षा के अनुरूप क्षेत्रीय भाषा का चयन किया जाएगा।

विद्या भारती के 10 लाख 30 हजार से अधिक पूर्व छात्र पोर्टल पर पंजीकृत हैं, जिससे यह विश्व का सबसे बड़ा पूर्व छात्र संगठन बन गया है। संबद्ध विद्यालयों में एआई सक्षम लर्निंग प्लेटफार्म, डिजिटल क्लासरूम की उपलब्धता है। 507 से अधिक विद्यालयों में अटल टिंकरिंग लैब की व्यवस्था है। संस्था का नैतिक मानदंड भारतीय दर्शन पर केंद्रित है।

प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी ने बताया कि विजन 2047 व पंच परिवर्तन पर संस्था कार्य कर रही है। सामाजिक समरसता जाति, वर्ग और क्षेत्रीय भेदभाव से ऊपर उठकर सभी के लिए शिक्षा सुलभ कराना हम सब का लक्ष्य है। प्रधानाचार्य विक्रब बहादुर सिंह परिहार ने कहा, कुटुंब प्रबोधन परिवार शिक्षा केंद्र की इकाई है। उनके प्रबोधन से भारतीय परिवार को मूल्यों, भावनात्मक स्थिरता और नागरिक शिक्षा का केंद्र बनाना आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य बोध, स्व भारतीय भाषाओं, संस्कृति और लोक ज्ञान के माध्यम से आत्म चेतना का विकास विद्यालयों की विशेषता है।

भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना आवश्यककाशी प्रांत की प्रचार विभाग की एक दिवसीय कार्यशाला भी हुई। इसमें संगठन के क्षेत्रीय मंत्री डा. सौरभ मालवीय ने कहा, शिक्षा ज्ञानार्जन या रोजगार से आगे बढ़कर नैतिक मूल्य, जीवनोपयोगी गुण के साथ भारतीय संस्कृति के आदर्श को लेकर चलने वाली होनी चाहिए। प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ना होगा। हम सब इसी दिशा में कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शेषघर द्विवेदी ने कहा, प्रचार विभाग महत्वपूर्ण इकाई है। आप सब समाज से जीवंत संवाद करें। विशिष्ट अतिथि योगेंद्र ने सोशल मीडिया व अन्य वेबसाइट से जुड़ने पर बल दिया। डा. किरनलता डंगवाल ने भी प्रचार विभाग के कार्यों को रेखांकित किया। इस दौरान डा.राम मनोहर, संदीप गुप्त सहित विभिन्न जिलों से आए प्रचार विभाग के सदस्य मौजूद रहे।

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