भारत की राजनीति में अपने चरित्र, ध्येयनिष्ठा, राष्ट्र के प्रति समर्पण, सहिष्णुता, शब्दसाधक, मिलनसारिता, सहजता, सरलता और गरिमा आदि गुणों से परिपूर्ण व्यक्तित्व वाले श्री अटल बिहारी वाजपेयी को केवल लेखनी की सीमा में रख पाना बड़ा दुष्कर है. वे बहुआयामी व्यक्तित्व के शाश्वत स्वरूप हैं, जिनको पाकर भारतीय राजनीति धन्य हुई है. उनके विराट मानस पटल में राजनेता केवल एक विभाग भर है, वे मूलतः समाजनेता हैं, जिनका उद्देश्य भारत को परम वैभव के शिखर पर आरूढ़ करना है. वे भारतीय संस्कृति के ऋषि प्रेषित प्रवक्ता हैं, जो समाज में भारद्वाज, अत्रि, याज्ञवल्य, पाराशर, पतंजलि, भृगु आदि की परंपरा को चिरस्थायी स्वरूप देने हेतु कटिबद्ध है, वे आध्यात्म और विज्ञान के सेतु हैं. अटलजी प्रखर वक्ता हैं. उनकी शैली मोहिनी है, हृदय संवेदनाओं से भरा हुआ है, उनकी कविताओं में समष्टि से व्यक्ति तक के विचार समाहित रहते हैं. अटलजी के लेखों में राष्ट्र और राष्ट्रवाद जीवंत रूप में दर्शनीय है. भारत की संस्कृति, सभ्यता, राजधर्म, राजनीति और विदेश नीति आदि विषयों पर अटलजी की लेखनी सभी के लिए प्रेरक है. उन्होंने लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया. ऐसे व्यक्तित्व पर लिखना सचमुच कठिन है. कितना भी प्रयास करें, बहुत कुछ उल्लेख में शेष रह जाएगा. उनकी लेखनी धन्य है. मैंने इस पुस्तक के माध्यम से अटलजी के पत्रकारीय जीवन को संजोने का एक छोटा सा प्रयास किया है. आशा करता हूं कि राष्ट्र की युवा पीढ़ी अटलजी के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर उनके सपनों के अनुरूप भारत के नव निर्माण का प्रयत्न करेगी.
डॉ. सौरभ मालवीय
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