Monday, December 17, 2018

प्रस्तावना



यह हर्ष की बात है कि सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं पर आधारित पुस्तक का प्रकाशन हो रहा है. इस संग्रहणीय पुस्तक के लेखक डॊ. सौरभ मालवीय को हार्दिक धन्यवाद और बधाई कि उन्होंने इस जनोपयोगी विषय पर पुस्तक लिखी। 

देश की खाद्य सुरक्षा को सतत आधार पर सुनिश्चित करने का श्रेय किसानों को ही जाता है। आज भारत न केवल बहुत से कृषि उत्पादों में आत्मनिर्भर और आत्मसम्पन्न है, अपितु बहुत से कृषि उत्पादों का निर्यातक भी है। यह भी सच है कि किसान अपने उत्पादों का लाभकारी मूल्य नहीं पाते हैं। अत: सरकार का मानना है कि कृषि क्षेत्र का इस प्रकार चहुंमुखी विकास किया जाए कि अन्य एवं कृषि उत्पादों के भंडार के साथ किसानों की जेब भी भरे और उनकी आय भी बढ़े। सरकार का उद्देश्य कृषि नीति एवं कार्यक्रमों को ‘उत्पादन केन्द्रित’ के बजाय ‘आय केन्द्रित’ बनाने का है। 
 
सरकार का मुख्य लक्ष्य न केवल कृषि के उन संभावनाशील क्षेत्रों की पहचान करना है, जिनमें अधिक निवेश होना चाहिए वरन आय बढ़ाने के लिए उद्यानिकी, पशुपालन तथा मत्स्य पालन जैसे कृषि संबंधित क्षेत्रों के विविधीकरण पर विचार कर कृषि में जोखिम कम करने के तरीके सुझाना भी है। इसी क्रम में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के बारे में दिए गए लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आज कृषि मंत्रालय खेती की लागत कम करने, उत्पादकता लाभ के माध्यम से उच्च उत्पादन करने, लाभकारी प्रतिफल सुनिश्चित करने और मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए जोखिम प्रबंधन जैसे सतत कार्यों में लगा है। जहां तक एक ओर उत्पादकता लाभ के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन जैसे योजनाएं चलाई जा रही हैं, वहीं कृषि लागत में कटौती के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड व नीम लेपित यूरिया के इस्तेमाल और प्रति बूंद से अधिक फसल संबंधी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है। जोखिम प्रबंधन एवं स्थायी पद्धतियां अपनाने हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना तथा उत्तरपूर्वी राज्यों के लिये जैविक खेती मिशन आदि के माध्यम से कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। देश में आने वालों वर्षों में कृषि एवं खाद्य सुरक्षा निरंतर और सतत बनी रहेगी और सरकार किसानों की आय नियत समय के अनुसार दोगुनी करने में अवश्य सफल होगी।

सरकारी योजनाओं को सफल बनाने के लिए यह भी अति आवश्यक है कि लोग उनका समुचित लाभ उठाएं। और ऐसा तभी संभव है, जब उन्हें इन योजनाओं के बारे में जानकारी हो. सरकार अपने स्तर पर योजनाओं के प्रचार-प्रसार करती ही है। यदि लोग भी एक-दूसरे को उन योजनाओं के बारे में बताएं, तो सोने पर सुहागा ही होगा. इस संबंध में डॊ. सौरभ मालवीय की पुस्तक बहुत उपयोगी है। नि: संदेह यह पुस्तक जनकल्याण योजनाओं की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने में सेतु का कार्य करेगी। एक बार फिर से मालवीय जी को बहुत-बहुत बधाई।
राधा मोहन सिंह
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री



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