Monday, November 11, 2024

 

डॉ. सौरभ मालवीय 
उत्तर प्रदेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राज्य है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को अत्यंत प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके अंतर्गत योगी सरकार ने महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए 2,600 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। उन्होंने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए संबंधित अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए हैं। प्रशासन द्वारा सभी आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ कुंभ मेले का शुभारंभ होगा तथा 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के साथ इसका समापन होगा। शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर, 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा पर तथा 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर होगा। 
 
महाकुंभ का महत्व
प्रयागराज हिंदुओं का अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहां गंगा, यमुना एवं सरस्वती का अद्भुत संगम होता है जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहां कुंभ मेले का आयोजन होता है। कुंभ मेले के अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक में स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष तथा प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के मध्य छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ मेले का आयोजन होता है। कुंभ का शाब्दिक अर्थ घड़ा एवं मेले का अर्थ एक स्थान पर एकत्रित होना है। कुंभ मेला अमृत उत्सव के नाम से भी प्रसिद्ध है।
खगोल गणनाओं के अनुसार कुंभ मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारंभ होता है। उस समय सूर्य एवं चंद्रमा, वृश्चिक राशि में तथा वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिवस को अति शुभ एवं मंगलकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार खुल जाते हैं। इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु अमृत से भरा हुआ कुंभ लेकर जा रहे थे तभी असुरों ने उन पर आक्रमण कर दिया। अमृत प्राप्ति के लिए देव एवं दानवों में परस्पर बारह दिन तक निरंतर युद्ध होता रहा। देवताओं के बारह दिन मनुष्यों के बारह वर्ष के समान होते हैं। इसलिए कुंभ भी बारह होते हैं। इनमें से चार कुंभ पृथ्वी पर होते हैं तथा शेष आठ कुंभ देवलोक में होते हैं। देव एवं दानवों के इस संघर्ष के दौरान भूमि पर अमृत की चार बूंदें गिर गईं। ये बूंदें प्रयाग, हरिद्वार, नासिक एवं उज्जैन में गिरीं। जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरीं वहां पर तीर्थ स्थल का निर्माण किया गया। तीर्थ उस स्थान को कहा जाता है जहां मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस प्रकार जहां अमृत की बूंदें गिरीं, उन स्थानों पर तीन-तीन वर्ष के अंतराल पर बारी-बारी से कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। इन तीर्थों में प्रयाग को तीर्थराज के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना एवं सरस्वती का संगम होता है। इन नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। 
 
भारत में महाकुंभ धार्मिक स्तर पर अत्यंत पवित्र एवं महत्वपूर्ण आयोजन है। इसमें लाखों-करोड़ों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। इस बार के महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ तीर्थयात्रियों के सम्मिलित होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। लगभग डेढ़ मास तक संचालित होने वाले इस आयोजन में तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए व्यवस्था की जाती है। उनके लिए टेंट लगाए जाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि एक छोटी सी नगरी अलग से बसा दी गई है। यहां तीर्थयात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है। यह आयोजन प्रशासन, स्थानीय प्राधिकरणों एवं पुलिस की सहायता से आयोजित किया जाता है। इस मेले में दूर-दूर से साधु-संत आते हैं। कुंभ योग की गणना कर स्नान का शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। स्नान से पूर्व मुहूर्त में नागा साधु स्नान करते हैं। इन साधुओं के शरीर पर भभूत लिपटी रहती है। उनके बाल लंबे होते हैं तथा वे वस्त्रों के स्थान पर शरीर पर मृगचर्म धारण करते हैं। स्नान के लिए विभिन्न नागा साधुओं के अखाड़े भव्य रूप से शोभा यात्रा की भांति संगम तट पर पहुंचते हैं। ये साधू मेले का आकर्षण का केंद्र होते हैं। 
 
मंदिरों का जीर्णोद्धार
प्रदेश की योगी सरकार महाकुंभ से पूर्व ही प्रयागराज के ऐतिहासिक मंदिरों का जीर्णोद्धार करवा रही है। इसके साथ-साथ मंदिरों का नवीनीकरण भी किया जा रहा है। पर्यटन विभाग, स्मार्ट सिटी एवं प्रयागराज विकास प्राधिकरण जीर्णोद्धार एवं नवीनीकरण को शीघ्र से शीघ्र पूर्ण करने के लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं। मेला प्रशासन श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आस्था एवं सुविधा को प्राथमिकता दे रहा है, जिससे उन्हें स्मरणीय अनुभव प्राप्त हो सके तथा वे यहां से प्रसन्नतापूर्वक वापस जाएं। 
पर्यटन विभाग जिन कॉरिडोर एवं नवीनीकरण परियोजनाओं की देखरेख कर रहा है, उनमें से मुख्य रूप से भारद्वाज कॉरिडोर, मनकामेश्वर मंदिर कॉरिडोर, द्वादश माधव मंदिर, पड़िला महादेव मंदिर, अलोप शंकरी मंदिर आदि सम्मिलित हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत अक्षयवट कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर एवं पातालपुरी कॉरिडोर सम्मिलित हैं। प्रयागराज विकास प्राधिकरण नागवासुकी मंदिर का नवीनीकरण कार्य एवं हनुमान मंदिर कॉरिडोर का कार्य करवा रहा है।

हरित क्षेत्र का विस्तार
महाकुंभ मेले के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश को हरभरा बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में हरित क्षेत्र के विस्तार के लिए संपूर्ण राज्य में 2.71 लाख पौधे लगाने का निर्देश दिया है। इसके लिए वन विभाग, नगर निगम एवं प्रयागराज विकास प्राधिकरण मिलकर कार्य कर रहे हैं तथा संयुक्त रूप से राज्यभर में अभियान चला रहे हैं। वन विभाग द्वारा 29 करोड़ रुपये की लागत से 1.49 लाख पौधे लगाए जाएंगे। वन विभाग संपूर्ण जिले में सड़कों के किनारे पौधे लगाएगा। नगर में आने वाली मुख्य सड़कों पर सघन पौधरोपण किया जा रहा है। सड़कों के किनारे नीम, पीपल, कदंब एवं अमलतास आदि के पौधे लगाए जा रहे हैं। इस अभियान के अंतर्गत सरस्वती हाईटेक सिटी में 20 हेक्टेयर में 87 हजार पौधे लगाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त वन विभाग नगर के कुछ क्षेत्रों में पौधे लगाएगा। नगर में हरित पट्टी बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के लिए प्रयागराज को स्वच्छता के मॉडल के रूप में स्थापित करने का भी निर्देश दिया है। वन विभाग, नगर निगम एवं प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा संपूर्ण क्षेत्र में एक मेगा पौधरोपण अभियान चलाया जा रहा है। 

प्राकृतिक उत्पादों को प्रोत्साहन  
योगी सरकार के मार्गदर्शन में कुंभ मेला प्रशासन के सभी विभाग मिलकर महाकुंभ के लिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। क्षेत्रों को पॉलीथिन से मुक्त रखने का भी प्रयास किया जा रहा है। इसके अंतर्गत महाकुंभ में सिंगल यूज्ड प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा। मेले में प्राकृतिक उत्पाद जैसे दोना, पत्तल, कुल्हड़ एवं जूट व कपड़े के थैलों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से महाकुंभ में प्राकृतिक उत्पादों का प्रयोग करने के स्टॉल लगाने की योजना है। महाकुंभ के दौरान दुकानदारों को भी प्राकृतिक उत्पादों का ही प्रयोग करने का निर्देश जारी किया गया है।
 
स्वच्छता पर बल  
महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की बड़ी संख्या में आने के दृष्टिगत क्षेत्र में डेढ़ लाख शौचालय एवं मूत्रालय स्थापित किए जा रहे हैं। इनको स्वच्छ बनाए रखने के लिए भी व्यापक तैयारी की गई है। इसमें तकनीकी का भी प्रयोग किया जा रहा है। इन सभी की निगरानी का दायित्व 1500 गंगा सेवा दूतों को सौंपा गया है। वे प्रातः एवं सायं इनकी जांच करेंगे। क्यूआर कोड से स्वच्छता की मॉनीटरिंग की जा रही है। यह ऐप बेस्ड फीडबैक देगा, जिसके माध्यम से शीघ्र से शीघ्र सफाई सुनिश्चित की जाएगी। इस बार मैनुअल शौचालय स्वच्छ करने की आवश्यकता नहीं होगी, अपितु जेट स्प्रे क्लीनिंग सिस्टम से कुछ क्षणों में पूरी तरह उन्हें स्वच्छ कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त सेसपूल ऑपरेशन प्लान भी तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से मेला क्षेत्र में स्थापित शौचालयों के सेप्टिक टैंक को रिक्त किया जाएगा। सेप्टिक टैंक रिक्त करके यहां से वेस्ट को एसटीपी प्लांट या अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जाएगा।
 
यातायात सुविधा 
योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश में आने वाले श्रद्धालुओं की प्रत्येक सुविधा का ध्यान रख रही है। इसलिए यातावात की भी समुचित व्यवस्था की जा रही है। प्रयागराज आने वाली बसों, रेलगाड़ियों एवं वायुयान की संख्या में वृद्धि की जा रही है। महाकुंभ के लिए रेलवे द्वारा लगभग 1200 रेलगाड़ियां तथा परिवहन विभाग द्वारा सात हजार बसों का संचालन किया जाएगा।
 
तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए योगी सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार ने महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में प्रवेश करने पर सात टोल प्लाजा को टैक्स फ्री करने का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकृत कर लिया गया है। महाकुंभ के दौरान 45 दिनों तक चित्रकूट मार्ग पर उमापुर टोल प्लाजा, रीवा राजमार्ग पर गन्ने टोल प्लाजा, मिर्जापुर मार्ग पर मुंगारी टोल प्लाजा, वाराणसी मार्ग पर हंडिया टोल प्लाजा, लखनऊ राजमार्ग पर अंधियारी टोल प्लाजा, अयोध्या राजमार्ग पर मऊआइमा टोल प्लाजा नि:शुल्क रहेगा। यहां से प्रवेश करने वाले यात्रियों से कोई भी टोल नहीं लिया जाएगा। यह सुविधा 13 जनवरी से 26 फरवरी तक रहेगी। यद्यपि यह सुविधा माल वाहक व्यवसायिक वाहनों को नहीं मिलेगी। इस समयावधि में सरिया, सीमेंट, बालू एवं इलेकट्रॉनिक्स सामान से भरे वाहनों से टोल लिया जाएगा। किंतु व्यवसायिक पंजीकृत जीप एवं कार आदि से भी टोल नहीं लिया जाएगा।
 
 

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