Saturday, January 15, 2011

मां नर्मदा सामाजिक कुंभ


डॉ. सौरभ मालवीय
गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा क्षिप्रा, गोदावरी, कावेरी जैसी पवित्र नदियों के किनारे ही सम्पूर्ण विश्व को अपने ज्ञान से आलोकित करने वाली सनातन संस्कृति ने जन्म लिया। इन नदियों के तटों पर ही आयोजित होने वाले कुम्भों में देश के कोने-कोने से संत व प्रबुद्धजन एकत्र होकर काल, परिस्थिति का समग्र विश्लेषण करने के साथ समाज का मार्गदर्शन करते हैं।

आज देश के सामने अनेक संकट खड़े हो गए हैं। आतंकवाद, अलगाववाद चरम सीमा पर है। विधर्मी मतान्तरण का कुचक्र चला रहे हैं। समाज को अपनी आस्थाओं के प्रति दृढ़ बनाना आज की आवश्यकता है। समाज में समरसता निर्माण हो तभी संपूर्ण राष्ट्र की एकता संभव है। इन सभी विषयों को ध्यान में रखकर मां नर्मदा के पावन तट पर मां नर्मदा सामाजिक कुंभ 10 से 12 फरवरी 2011 माघ शुल्क सप्तमी, अष्टमी एवं नवमीं को संपन्न होगा।

विस्तार क्षेत्र
इस कुंभ में मध्यभारत, महाकोशल, मालवा, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, काशी, गुजरात, विदर्भ, आंध्रप्रदेश, बिहार, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश आदि प्रांतों से 20 से 30 लाख के बीच लोगों के आने की संभावना है। कुंभ के लिए जनजागरण करने हेतु दिसंबर मास से गांव-गांव में नर्मदा गाथा सुनाने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस जागरण कार्यक्रम में मंडला का महत्व, मां नर्मदा की महिमा, रानी दुर्गावती की बलिदान की गाथा, गोड वंश का गौरवशाली इतिहास आदि बताया जा रहा है। इस सामाजिक कुंभ में देश के प्रख्यात संत महात्मा और महापुरूषों का सान्निध्य मिलेगा वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारी एवं स्वयंसेवक विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।

प्रमुख उपस्थिति
इस धार्मिक आयोजन में मुख्य रूप से रा. स्व. संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी, निवर्तमान सरसंघचालक श्री कुप्प. सी. सुदर्शन, सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी, श्री दत्ता होसबोले, श्री गोविंदगिरी महाराज (आचार्य किशोर जी व्यास), जगद्गुरू बदरीपीठ श्री वासुदेवानंद सरस्वती, पूज्य दीदी मां ऋतंभरा जी, भारतमाता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद जी, आचार्य महामंडलेश्वर श्यामदासजी महाराज-जबलपुर, म.म. सुखदेवानंदजी- अमरकंटक, जगद्गुरू राजराजसेवाश्रम- हरिद्वार रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवानंद, साध्वी निरंजनज्योति – कानपुर, बाल्मीकि संत श्री मानदासजी – हरिद्वार, युगपुरूष म.म. स्वामी परमांद गिरी- हरिद्वार, स्वामी गिरीशानंद – जबलपुर म.म. मैत्रेयगिरीजी महाराज – मंगलोर, ऐश्वर्यानंद सरस्वती- इंदौर, रामहृदयदास- चित्रकूट, योगी आदित्यनाथ- गोरखपुर म.म. शान्तिस्वरूपानंद गिरी उज्जैन, शंभूनाथ महाराज गुजरात, दशनामी पचायती महानिर्मोही अखाड़ा के प्रमुख महामंडलेश्वर आचार्य सुखदेवानंद जी- अमरकंटक सहित अनेक संत उपस्थित रहेंगे।

कुंभ के तीन उद्देश्य रहेंगे
धर्म का दृढ़ीकरण, विकास के साथ सामाजिक समरसता और राष्ट्र की एकता और अखंडता इनके बारे में अलख जगाना। जनजागृति के लिए 30 लाख मां नर्मदा चित्र घर-घर स्थापित किए जाएंगे तथा पांच लाख स्टीकर्स कुंभ मं सहभागी लोगों के लिए प्रवेशिका रहेंगी। कुल 8 लाख प्रवेशिका छपेगी जिसमें 4 लाख मप्र को, 2 लाख छत्तीसगढ़ को, विदर्भ आंध्रप्रदेश, गुजरात आदि को मिलाकर 1 लाख प्रवेशिका बटेंगी।
गांव-गांव में प्रचार के लिए 20 हजार सीडी एवं कैसेट बने हैं, उसमें से 10 हजार कैसेट का वितरण हो चुका है, डॉक्युमेंटरी फिल्म चल रही है।
संगठन रचना

प्रत्येक ब्लॉक, तालुका तथा जिला स्तर पर कुंभ आयोजन समिति का गठन किया गया है, केन्द्रीय कुंभ आयोजन समारोह समिति उसके पश्चात् प्रांत, जिला तालुका ब्लॉक तथा गांव स्तर पर कुंभ समारोह समिति का गठन हुआ है जो सभी को साथ लेकर चल सकता है ऐसे व्यक्ति को समिति का संयोजक तथा उसका साथ देने वाले को सह-संयोजक बनाया गया है। ब्लॉक स्तर पर कोष प्रमुख, प्रचार, प्रमुख सामग्री संग्रह प्रमुख यातायात प्रमुख, संस्कृति प्रशासन संपर्क जाति बिरादरी प्रमुख, महिला प्रमुख, युवा प्रमुख, परावर्तन प्रमुख गांव स्तर पर 11 लोगों की समिति जिसमें संघ के विभिन्न संगठनों के सदस्य रहेंगे। इस समिति में अधिकतम सदस्यों की संख्या 11 से 21 तक रहेगी।

कुंभ की तैयारी
संपूर्ण कुंभ क्षेत्र को मंडला महारानी दुर्गावती का नाम दिया है। चार भव्य प्रवेशद्वार रहेंगे। तीन बड़े मंडप-स्वामी लक्ष्मणानंदजी के नाम पर, महिलाओं के लिए रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर और युवाओं के लिए हनुमानजी क नाम पर बनाए जाएंगे। स्वामी लक्ष्मणानंद कहते थे कि ईसाई मिशनरी हमें मार डालेंगे क्योंकि हम अपने हिंदुओं को जगाने का काम करते हैं। मेरे मरने के बाद भी हिन्दुत्व का बचाव कार्य जारी रहेगा। रानी लक्ष्मीबाई ने विदेशी आक्रमणकारियों के साथ लड़कर उनको उखाड़ फेंकने का संदेश दिया। हनुमानजी हर समस्या से मार्ग निकालने, धैर्य साहस तथा ज्ञान से काम करने का संदेश देते हैं। मंडला के समीप महारजपुर के पास कुल 3500 एकड़ जमीन क्षेत्र पर कुल 45 नगर बनेंगे। प्रत्येक नगर में 5 हजार लोगों के रहने, भोजन आदि की व्यवस्था रहेगी।

भोजन विभाग
स्नान के लिए नर्मदा पर घाट बनाए गए हैं। हर स्नान घाट पर गोताखोरों की व्यवस्था, महिलाओं के कपड़े बदलने की व्यवस्था की गई है। भोजनालयों में 2 से 3 लाख लोगों का भोजन बनेगा। भोजन बनाने के लिए गुजरात से 1400 तथा वितरण करने हेतु 600 से 2 हजार लोग आएंगे तथा भोजन पंक्ति में परोसा जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग
संपूर्ण कुंभ क्षेत्र में 20 बेड का सुसज्जित आकस्मिक सेवा से परिपूर्ण आईसीयू एम्बुलेंस आदि की सुविधाओं के साथ अस्पताल रहेगा।
एक मध्यवर्ती भंडार होगा तथा सुरक्षा की दृष्टि से एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष रहेगा। साथ ही तीन उपनियंत्रण कक्ष होंगे। सुरक्षा के लिए 3 से 5 हजार पुलिसकर्मी भी कुंभ स्थल पर रहने वाले हैं।

प्रदर्शनी
सारे कुभ में 10 प्रदर्शनियां लगने वाली हैं। उनके विषय-रानी दुर्गावती, पर्यावरण एवं मां नर्मदा, सीख, गुरूपुत्रों की बलिदान गाथा, राष्ट्रीय एकता विधर्मियों के कुटिल हथकंडे विश्वमंगल गौमाता, जलसंरक्षण, सामाजिक सुरक्षा, महाराणा प्रताप, अयोध्या राममंदिर इत्यादि।

व्यवस्था विभाग
कुंभ की संपूर्ण व्यवस्था निर्बाध रूप से चले इस हेतु 10 विभागों की रचना की गई है। ये विभाग हैं-विश्वकर्मा (निर्माण), वरूण (जल, ध्वनि तथा विद्युत) नारद (प्रचार और प्रसार), हनुमान (सुरक्षा एवं चिकित्सा), अन्नपूर्ण (भोजन), साधन संग्रह, केशव (सभी संघ के वरिष्ठ अधिकारी, वीआईपी तथा वीवीआईपी व्यवस्था) प्रचार धर्मजागरण, गरूड़ विभाग (यातायात)। एक हैलिपैड बनाया गया है तथा तीन प्रमुख वाहन पार्किंग स्थल रहेंगे, जहां 1 हजार बड़े तथा 1 हजार छोटे वाहन पार्क किए जा सकेंगे। इसके अलावा प्रत्येक नगर में पार्किंग की व्यवस्था रहेगी।

कार्यक्रम विशेष
3 फरवरी से 9 फरवरी तक कुंभ स्थान पर श्री अतुल कृष्ण जी भारद्वाज के श्रीमुख से श्री राम कथा प्रारंभ होगी, पूज्य कन्हैयालालजी महाराज के संचालन में वृंदावन के श्री भुवनेश्वर महाराज रासलीला रात्रि 7.30 से, प्रदर्शनी का उद्धाटन 8 फरवरी को होगा।

9 फरवरी को देशभर के वंशावली लेखकों का सम्मेलन, 10 फरवरी को कुंभ का विधिवत उद्धाटन होगा। तीन दिन चलने वाले इस कुंभ में धर्म सभा, युवा सम्मेलन, संत सम्मेलन, महिला सम्मेलन, मां नर्मदा की आरती और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। प्रस्ताव तथा उद्धोषणा पत्र भी अंतिम दिन जारी रहेगा। कुंभ के उद्धाटन पर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।

कुंभ के लिए सामग्री
महाराष्ट्र से चीनी, मुंबई 50 लाख लॉकेट बनाकर दिए हैं। जबलपुर से 6 लाख परिवारों से प्रति रविवार 1 किलो चावल और आधा किलो दाल का संग्रह होगा। महाकौशल से 20 लाख परिवारों से संपर्क होगा। 1 किलो चावल, आधा किलो दाल और एक रूपया घर-घर से किया जाएगा। छत्तीसगढ़ से चावल तथा दाल और ब्रज प्रांत से 15 ट्रक आलू प्राप्त होंगे। भोजन बनाने और वितरण में गुजरात से दो हजार लोग आएंगे। प्रचार साहित्य बनाने में छत्तीसगढ़ की सराहनीय भूमिका रही जिसके तहत 30 हजार सीडीज और 20 लाख पत्रक युगबोध प्रकाशन, रायपुर से प्राप्त हुई है। मध्यप्रदेश सरकार ने मंडला को पवित्र नगरी घोषित करते हुए यहां के विकास के लिए विशेष बजट देकर सहयोग दिया है।

संपर्क
डॉ. सौरभ मालवीय
सहायक प्राध्यापक
माखनलाल चतुर्वेदी
राष्‍ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल (मध्य प्रदेश)
मो. +919907890614

ईमेल : drsourabhmalviya@gmail.com

5 टिप्पणियाँ:

Sanjay Dwivedi said...

एक अच्छे आयोजन की जानकारी आपने दी। सभी को इसमें तन-मन और धन से मदद करनी चाहिए।
-संजय द्विवेदी

Unknown said...

So nice to read..
It’s really touched the heart…
Thank you so much to giving this inspiration to us

पंकज झा. said...

नाईस...बहुत बढ़िया....सुन्दर....जानकारीप्रद.
पंकज झा.

shailendra singh said...

माँ नर्मदा सामाजिक कुम्भ से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी आपने दी इसके लिए धन्यवाद !
यहाँ कुम्भ समाज में समरसता निर्माण करने और संपूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने में कारगर सिद्ध होगा ।

pradeep said...

अच्छा है भई .....खूब लिख रहे हो आज कल , संस्कृति को लेकर .लिखते रहो अच्छी बात है
प्रदीप प्रसन्न ,अलवर

भारत की राष्‍ट्रीयता हिंदुत्‍व है